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Karwa Chauth 2025: तो इसलिए मनाया जाता है करवा चौथ, ये है चांद की कहानी | कथा की PDF

Karwa Chauth 2025: तो इसलिए मनाया जाता है करवा चौथ, ये है चांद की कहानी  | कथा की PDF

करवा चौथ भारत में विशेष रूप से हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो पति-पत्नी के अटूट रिश्ते और प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में, जैसे कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। 


करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर माह में पड़ता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।

इस व्रत में महिलाएं रखती हैं निर्जला उपवास

करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पहले शुरू होता है और रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद समाप्त होता है। इस व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं, यानी बिना पानी और भोजन के दिनभर व्रत करती हैं। व्रत की शुरुआत सुबह सर्गी से होती है, जो सास द्वारा बहू को दी जाने वाली विशेष थाली होती है। 

Karwa Chauth meaning in English

इसमें फल, मिठाई, मठरी और अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थ होते हैं, जो व्रत से पहले खाए जाते हैं। यह परंपरा न केवल शारीरिक बल प्रदान करती है, बल्कि सास-बहू के रिश्ते को भी मजबूत करती है।

करवा चौथ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है पूजा और कथा

Karwa Chauth Puja Vidhi

शाम को महिलाएं एकत्रित होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं, जिसमें करवा माता और वीरवती की कहानी प्रमुख है। यह कथा प्रेम, विश्वास और व्रत के महत्व को दर्शाती है। पूजा में एक मिट्टी का करवा (घड़ा) होता है, जिसे पानी और दीपक से सजाया जाता है। 

पूजा के बाद दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य

महिलाएं इस करवे के साथ पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है, और फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत तोड़ा जाता है।

Karwa Chauth origin state

इस त्योहार का सांस्कृतिक महत्व भी बहुत गहरा है। करवा चौथ न केवल पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है, बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है। 

महिलाएं इस दिन करती हैं सोलह श्रृंगार

महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करती हैं, जिसमें मेहंदी, बिंदी, चूड़ियां, और सुंदर वस्त्र शामिल हैं। यह पर्व नारी शक्ति और समर्पण का प्रतीक है, जहां महिलाएं अपने परिवार की सुख-शांति के लिए कठिन तप करती हैं।
करवा चौथ व्रत कथा हिंदी में

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आधुनिक समय में करवा चौथ

आधुनिक समय में करवा चौथ का स्वरूप बदल रहा है। अब पुरुष भी अपनी पत्नियों के साथ व्रत रखने लगे हैं, जो लैंगिक समानता और आपसी प्रेम का प्रतीक है। 

करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो भारतीय संस्कृति की गहराई और प्रेम की शक्ति को दर्शाता है। यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि एक ऐसा अवसर है जो रिश्तों को और मजबूत करता है।

यह त्योहार न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी जोड़ों को करीब लाता है। करवा चौथ का उत्साह बाजारों में भी दिखता है, जहां मेहंदी, चूड़ियां और सजावट की वस्तुएं बिकती हैं।

करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो भारतीय संस्कृति की गहराई और प्रेम की शक्ति को दर्शाता है। यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि एक ऐसा अवसर है जो रिश्तों को और मजबूत करता है।

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